महात्मा गाँधी ने कहा था " स्वतंत्र भारत में हमें हर व्यक्ति के आँखों से आंसू पोछने होंगे " आज आजादी के ६० साल बाद हम गाँधी गिरी की बात करते है पर गाँधी के इस कथन को भूल जाते है। आज भी हमें उनके इस कथन को याद करने की आवश्यकता है । हमारी उपलब्धियां कम नही , पर हमें अभी इससे कही अधिक पाने की आवश्यकता है ।
हमें इस बात पर गर्व है कि हजारों साल पहले हमारे शहर हड़प्पा और मोहनजोदड़ो में नालियों और गलियों की सफाई की उचित व्यवस्था थी।
आज कहने को तो हम २१ वी शताब्दी मे जी रहे है पर मैले के सफाई की जो व्यवस्था है वो बेहद ही शर्मनाक , घृणास्पद और अमानवीय है । हम स्वयं तो अत्यंत ही स्वच्छ रहना चाहते है लेकिन भाई अपने हाथ गंदे करे तो कौन ? विकास की इतने दावों के बाद आज भी हमारे कई कस्बों यहा तक की शहरों तक में सिर पर मैला ढोने की प्रथा आज भी कायम है । आकड़ों की माने तो आज भी १२ लाख से ज्यादा लोग इस अमानवीय पेशे से जुंड़े है ।
क्रमशः
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