टी आर पी - लोकतंत्र के चौथे खम्बे के लिए अभिशाप है या वरदान ? इसपर इन दिनों मीडिया में चर्चाएं जोरों पर है। जरा गौर कीजिये, देश के चार महानगरों के महज 10 हजार घरों के जागरूक दर्शकों की राय जान कर एक एजेन्सी यह तय कर देती है कि किस वक्त, किस चैनल का टी आर पी सबसे ज्यादा था और किसका, सबसे कम । ये चंद हज़ार लोग यह तय कर देते है कि सवा अरब लोगों की पसंद - नापसंद क्या है ? या सच कहें तो ये बयां करते हैं टीवी की (तथाकथित) काबिलियत को ।
अगर ये यही तक सीमित रहे तो शायद किसी को इससे कोई खास फर्क नहीं पड़ता लेकिन ये है नंबर १ की दौड़ जिससे टीवी का पूरा रेवेन्यु जुड़ा है ।
आज टीवी पर चलने वाले प्रोग्रामों को डिजाईन करने वाले प्रोड्यूसर और एडिटर नहीं बल्कि ये टी आर पी निर्धारित करते हैं। यह टी आर पी का ही खेल है कि आप घर पर जैसे ही रिमोट उठाते है कि देखें देश दुनिया का हाल , आप को पता चलता है कि साई बाबा बोलने लगे है । किसी चैनल पर आप को यह बताया जाता है कि यह मक्कारी है, यह भ्रम फैलाने कोशिश है, ये हजारो लाखो भक्तों का अपमान है । टी आर पी के युद्ध में फसे इन चैनल से आप आगे बढ़ते हैं तो अगले चैनल पर आपको यह बताया जाता है कि एक लड़की ने कैसे अपने अपमान का बदला लेने के लिए दुबारा धरती पर नागिन के रूप में जनम लिया है। ख़ुद दास मुंशी कह चुके हैं कि टी आर पी के इस तंत्र से उन्हें धमकी भी मिल चुकी है , ऐसी ही धमकी एक बी जे पी के एक लीडर को भी मिल चुकी है । अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता वाले इस देश में आज इसपर आवाज़ उठाने वालो की कमी है . आज मीडिया को जरुरत है टैम रेटिंग और शुक्रवार के इस साप्ताहिक जाल से बाहर आने की और इसके मैकेनिज्म को बदलने के लिए सरकार , पत्रकारों और बाज़ार के प्रतिनिधियों को एक साथ कोशिश करने की। इसी प्रकार के प्रयासों में से एक है सी एम एस( सेंटर फॉर मीडिया स्ट्डीज ) के द्वारा २० मार्च २०१० को आयोजित ग्रुप डिस्कसन " IMPACT OF TRP ON TELEVISION NEWS CONTENT " । इसमें सम्मानित वक्ता है पंकज पचौरी- एनडीटीवी , एन के सिंह -BEA , अमित त्रिपाठी - जी न्यूज़ , बी वी राव - गवर्नंस नॉव, रचना बर्मन - टाइंमस ग्रुप , संजय रॉय -DLF
इस डिस्कसन में आप सभी लोगो का हार्दिक स्वागत है ।
Time - 10:30 Am
Date - 20th March २०१०
Venue - CMS RESEARCH HOUSE, 34 B, SAKET COMMUNITY CENTRE, SAKET PVR, SAKET , NEW DELHI - 110017
PH: P: 91 11 4054 5335 (D), 2686 7348, 2686 4020 M: 91 9718503610
avinash@cmsacademy.org
अगर ये यही तक सीमित रहे तो शायद किसी को इससे कोई खास फर्क नहीं पड़ता लेकिन ये है नंबर १ की दौड़ जिससे टीवी का पूरा रेवेन्यु जुड़ा है ।
आज टीवी पर चलने वाले प्रोग्रामों को डिजाईन करने वाले प्रोड्यूसर और एडिटर नहीं बल्कि ये टी आर पी निर्धारित करते हैं। यह टी आर पी का ही खेल है कि आप घर पर जैसे ही रिमोट उठाते है कि देखें देश दुनिया का हाल , आप को पता चलता है कि साई बाबा बोलने लगे है । किसी चैनल पर आप को यह बताया जाता है कि यह मक्कारी है, यह भ्रम फैलाने कोशिश है, ये हजारो लाखो भक्तों का अपमान है । टी आर पी के युद्ध में फसे इन चैनल से आप आगे बढ़ते हैं तो अगले चैनल पर आपको यह बताया जाता है कि एक लड़की ने कैसे अपने अपमान का बदला लेने के लिए दुबारा धरती पर नागिन के रूप में जनम लिया है। ख़ुद दास मुंशी कह चुके हैं कि टी आर पी के इस तंत्र से उन्हें धमकी भी मिल चुकी है , ऐसी ही धमकी एक बी जे पी के एक लीडर को भी मिल चुकी है । अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता वाले इस देश में आज इसपर आवाज़ उठाने वालो की कमी है . आज मीडिया को जरुरत है टैम रेटिंग और शुक्रवार के इस साप्ताहिक जाल से बाहर आने की और इसके मैकेनिज्म को बदलने के लिए सरकार , पत्रकारों और बाज़ार के प्रतिनिधियों को एक साथ कोशिश करने की। इसी प्रकार के प्रयासों में से एक है सी एम एस( सेंटर फॉर मीडिया स्ट्डीज ) के द्वारा २० मार्च २०१० को आयोजित ग्रुप डिस्कसन " IMPACT OF TRP ON TELEVISION NEWS CONTENT " । इसमें सम्मानित वक्ता है पंकज पचौरी- एनडीटीवी , एन के सिंह -BEA , अमित त्रिपाठी - जी न्यूज़ , बी वी राव - गवर्नंस नॉव, रचना बर्मन - टाइंमस ग्रुप , संजय रॉय -DLF
इस डिस्कसन में आप सभी लोगो का हार्दिक स्वागत है ।
Time - 10:30 Am
Date - 20th March २०१०
Venue - CMS RESEARCH HOUSE, 34 B, SAKET COMMUNITY CENTRE, SAKET PVR, SAKET , NEW DELHI - 110017
PH: P: 91 11 4054 5335 (D), 2686 7348, 2686 4020 M: 91 9718503610
avinash@cmsacademy.org